कार चलाने का खर्च मात्र 4 रूपये किलोमीटर है ना हैरानी पर ऐसा होगा,जानिए कैसे
सत्य खबर,नई दिल्ली ।
सोचिए कैसा हो… भारत में ही आपको एक ऐसा फ्यूल मिलने लगे, जो आपकी कार चलाने का खर्च 4 रुपए प्रति किलोमीटर तक ले आए. तो उद्योगपति मुकेश अंबानी ने इसका पूरा प्रबंध कर लिया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज दुनिया की कई नामी-गिरामी कंपनियों के साथ मिलकर कुल 1 लाख करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट करके ऐसा फ्यूल इंडिया में ही डेवलप करने जा रही है.
जी हां, रिलायंस इंडस्ट्रीज आने वाले समय में गुजरात के दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (कांडला पोर्ट) पर ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया का प्लांट लगाने जा रही है. कंपनी ये प्लांट्स लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ग्रीनको ग्रुप और वेलस्पन न्यू एनर्जी जैसी कंपनियों के साथ मिलकर लगाएगी.
इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से ईटी ने खबर दी है कि पिछले साल अक्टूबर में ही इन कंपनियों ने दीनदयाल पोर्ट के पास लैंड पार्सल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. चारों कंपनियों ने 14 प्लॉट खरीदने का प्लान बनाया था, जिसमें प्रत्येक प्लॉट करीब 300 एकड़ का था. इस तरह ये टोटल एरिया करीब 4,000 एकड़ का है.
अब खबर है कि दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी ने पिछले महीने ही चारों कंपनियों को ये प्लॉट अलॉट कर दिए हैं. यहां हर एक प्लॉट पर प्रति वर्ष 10 लाख टन ग्रीन अमोनिया के उत्पादन की क्षमता है. इन 14 प्लॉट में से रिलायंस इंडस्ट्रीज को 6, एलएंडटी को 5, ग्रीनको ग्रुप को 2 और वेलस्पन न्यू एनर्जी को 1 प्लॉट दिया गया है.
जानकारी को सार्वजनिक इसलिए नहीं किया गया है क्योंकि अभी देश में लोकसभा चुनाव की वजह से आचार संहिता लगी हुई है. सूत्रों का कहना है कि कंपनियां इस पूरे प्रोजेक्ट के बारे में पब्लिक अनाउंसमेंट अब जून में चुनावों का परिणाम आने के बाद करेगी. हालांकि इस बारे में चारों कंपनियों ने कोई स्टेटमेंट देने से मना कर दिया है.
कांडला पोर्ट के पास 70 लाख टन ग्रीन अमोनिया और 14 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. ये पोर्ट कच्छ की खाड़ी में स्थित है, जिसकी वजह से यहां से एक्सपोर्ट करना भी आसान होगा. ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन पानी को इलेक्ट्रोलाइजिंग करके किया जाता है. इसके लिए रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग किया जाता है, ऐसे में इससे कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है. ये भारत सरकार के ‘नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ का हिस्सा है.
हाइड्रोजन को फ्यूचर फ्यूल के तौर पर देखा जाता है. हाइड्रोजन इंजन से चलने वाली कारों में फ्यूल सेल का इस्तेमाल होता है, जो हाइड्रोजन का उपयोग करके बिजली का उत्पादन करता है. ऑक्सीजन के साथ मिलकर इसमें से बाहर धुंआ निकलने की बजाय पानी की फुहार निकलती है, इस तरह ये प्रदूषण रहित सिस्टम है. मौजूदा समय में पेट्रोल या डीजल से कार चलाने का औसत खर्च 8 से 10 रुपए प्रति किलोमीटर आता है, जबकि ग्रीन हाइड्रोजन का खर्च 4 से 5 रुपए प्रति किलोमीटर तक आता है.